अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने फिर से जाहिर किया भारत विरोधी मानसिकता।
अमेरिका का मशहूर अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने भारत में स्थित अपने दक्षिण एशिया के संवाददाता की वैकेंसी निकाली और जो उन्होंने जॉब डिस्क्रिप्शन दिया है उसमें उन्होंने साफ लिखा है मोदी विरोधी और भारत विरोधी विचारधारा के पत्रकार की आवश्यकता है
और उन्होंने जॉब डिस्क्रिप्शन में लिखा भारत इस वक्त एक मुश्किल दौर से गुजर रहा.
भारत विरोधी यह वही न्यूयॉर्क टाइम्स है।
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जो कुछ वर्ष पहले इसरो के मंगल मिशन की सफलता के बाद एक कार्टून छपा था। न्यूज़पेपर में जिस कार्टून में दिखाया गया था, भारतीय किसान एक बैल के साथ स्पेस में पहुंच गया है। इनकी मानसिकता आज से नहीं बहुत वर्षों से दशकों से भारत विरोधी रहा है।
सही बात भारत इस वक्त एक मुश्किल दौर से गुजर रहा है . सिर्फ भारत ही नहीं पूरी दुनिया कोविड-19 के वजह से इस मुश्किल दौर से गुजर रहा है।इस कोविड 19 के दौर में भी अमेरिका से काफी बेहतर स्थिति रहा भारत का।
जिस का एक प्रमुख कारण देश का मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति रखने वाला एक मजबूत लीडर भी था। एक मजबूत नेतृत्व ही था।
शायद उन्हें यह बात पच नहीं रही है जो हम दुनिया के सबसे ताकतवर देश है और भारत हमसे ज्यादा बेहतर स्थिति में कैसे हो सकता है?
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रही बात मुश्किल दौर से गुजरने की।
भारत एक मजबूत लोकतांत्रिक देश है। भारत अपनी हर मुश्किलें एक राष्ट्र के रूप में सुलझाने में सक्षम है।इसका साक्षी 1999 का कारगिल युद्ध है जिससे न्यूयॉर्क टाइम्स को सीखना चाहिए।अमेरिकी सरकार ने युद्ध के बीच में सैटेलाइट इमेज देने से इनकार किया। आज भारत का अपना सैटेलाइट अंतरिक्ष में है।
द न्यूयॉर्क टाइम्स को भारत के मुश्किल दौर पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय अमेरिका के अंदरूनी के मुद्दे और अमेरिका के मुश्किल दौर पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
अमेरिका इस वक्त अपने इतिहास के सबसे बुरे वक्त से गुजर रहा है।चाइना का इतना विशाल काय अर्थव्यवस्था को खड़ा करने में अमेरिका का ही हाथ है और चाइना आज भस्मासुर बन कर अमेरिका को उंगली कर रहा है।चाइना से निपटने के लिए भी अमेरिका को आज भारत का साथ चाहिए।
द न्यूयॉर्क टाइम्स को अमेरिका के अंदर अंदरूनी मामले गन कल्चर नक्सलवादी हिंसा संसद पर हुए हमले कोविड 19 कारण हुए मौत इस शब्द पर ध्यान देना चाहिए। हमें लगता है भारत उनसे ज्यादा बेहतर स्थिति में है। अमेरिका में तो अब लोकतंत्र का भी कोई मतलब नहीं बचा है। सांसद पर भी हमला हो रहा है।
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