उत्तराखंड के तरह पश्चिम बंगाल में भी राजनीतिक संकट खड़ा होगा। क्या ममता बनर्जी रिजाइन करेगी?
बता दें, तीरथ सिंह रावत ने 10 मार्च को त्रिवेंद्र सिंह रावत की जगह उत्तराखंड के सीएम के रूप में शपथ ली थी. सूत्रों ने कहा कि तीरथ सिंह रावत, जो शुक्रवार शाम तक दिल्ली में थे, जहां उन्होंने भाजपा प्रमुख जेपी नड्डा से तीन दिनों में दो बार मुलाकात की थी. रावत को पार्टी नेतृत्व ने संवैधानिक संकट से बचने के लिए इस्तीफा देने के लिए कहा था.
क्या कुछ इसी प्रकार पश्चिम बंगाल में भी होगा?. ......
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद ममता बनर्जी भारी बहुमत के साथ सत्ता में वापस आई लेकिन अपने विधानसभा में वह चुनाव हार गई शुभेंदु अधिकारी से.. लेकिन उन्होंने मुख्यमंत्री पद का शपथ ली। देश के संविधान के मुताबिक प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री या कोई मंत्री?
कोई ना कोई सदन का सदस्य होना चाहिए।अगर नहीं है तो 6 महीना के अंदर उन्हें चुनाव लड़के किसी ना किसी सदन का सदस्य बनना होगा।
नहीं बनने पर उन्हें अपने पद से त्यागपत्र देना होगा जो उत्तराखंड में हुआ।अब क्या अगर पश्चिम बंगाल में उपचुनाव को कोविड 19 के कारण नहीं होता है तो ममता बनर्जी अपने पद से रिजाइन देंगे। अगर ममता बनर्जी अपने पद से रिजाइन करती है तो पश्चिम बंगाल में राजनीतिक संकट उत्पन्न होगा? अगर पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस से कोई और मुख्यमंत्री बनता है तो तृणमूल कांग्रेस में फूट की संभावना होगी।जिसका फायदा सीधे बीजेपी को 2022 यूपी विधानसभा चुनाव में और 2024 लोकसभा लोकसभा चुनाव में होगा।
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